समिति की ओर से आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में अरण्य भूमि की सुरक्षा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
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मां के नामकरण संभलेश्वरी के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि माई ने ही राजा को संबल अर्थात् मजबूत आधार प्रदान किया तो कहीं-कहीं यह भी विवरण है कि यह पूरा का पूरा अरण्य भूमि शिमूली वृक्ष से आच्छादित था जिसे स्थानीय ' संभल ' और ग्रामीण क्षेत्र के लोग समलेई कहते हैं।
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खरमोर मिलिन्द डाँगे और मैं देखना चाहते थे खरमोर सैलाना की अरण्य भूमि में देखना चाहते थे अद्भुत पक्षी की प्रणय लीलाएँ पंखों को फैलाकर उसका आकाश में उठ जाना और नीला बादल बनकर रीझाना अपनी प्रिया को हम घुसे ऊबड़-खाबड़ ज़मीनों में, लम्बी घासों में, हमने सरकण्डों को सूँघा मालवे का भाट कुकड़ा और सालिमअली का ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड गूँज रहा था हमारे भीतर भूखे प्यासे भटकते रहे हम खेतों में हम खरमोर देखना चाहते थे, जीवित रखना चाहते थे बरसों बरस उस मनोहारी कलंगी वाले पक्षी को अपने भीतर-रचना दिनांक 29 जून 1999